Friday, February 15, 2008

शिकायत रह गई.......

प्यार में अब कहां वो शरारत रह गई
अब कहां वो छुअन वो हरारत रह गई

लैला औ शीरी के किस्से पुराने हो चले
अब कहां शोखियां, वो नज़ाकत रह गई।

प्यार किया जैसे एहसान हो भला,
शुक्रिया तो गया शिकायत रह गई

नवाब जी की गाड़ी अब छूटती नहीं
कहां वो तहज़ीब वो नफासत रह गई ।

मोहब्बत के अच्छे दाम मिलते कहां मानव
वक्त के बाज़ार में ऐसी तिज़ारत रह गई .

No comments: